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अपने पिछले लेख में हम जान चुके हैं कि मानव शरीर 3 प्रकार का होता है । पहला वात ,दूसरा पित्त और तीसरा कफ । इन तीनों मे से किसी एक का संतुलन बिगड़ने से हमारे शरीर में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती है और वो समस्याएं हमारे दैनिक जीवन व कर्म क्षेत्र में बाधा बन जाती हैं । आज हम इन तीनों दोषों में से एक, वात दोष के असंतुलन से हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाली समस्याओं व उसके समाधानों के विषय में जानने वाले हैं ।
वात दोष पाँच तत्वों में से दो तत्वों से मिलकर बनता है - वायु तत्व और आकाश तत्व । जिन लोगों के शरीर में वात अधिक प्रभावी होता है उनके शरीर में वायु से संबंधित समस्याएं आती हैं । वात हमारे शरीर के रक्तप्रवाह को नियंत्रित करता है । शरीर में वात की उपस्थिति के आधार पर इसको 5 भागों में विभाजित किया गया है ,जो इस प्रकार हैं - प्राण , उदान ,समान , व्यान और अपान ।
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वात दोष से होने वाली समस्याएं -
वात दोष से हमारे शरीर में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं , उनमें से कुछ प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं -
- रूखापन वात दोष का प्रमुख लक्षण है । यदि हमारे शरीर की त्वचा , बालों या अन्य किसी जगह बहुत ज्यादा रूखापन दिखने लगे, इसका मतलब है शरीर में वात दोष बढ़ गया है ।
- आँखों के आसपास दर्द व जकड़न होना भी वात दोष का संकेत देता है ।
- यदि हमारे शरीर में कुछ चुभने जैसा महसूस हो रहा है इसका अर्थ हमारे शरीर में वात दोष ज्यादा हो गया है ।
- अगर कुछ खाने पर उसका स्वाद नहीं आ रहा है और मुंह में कड़वाहट बढ़ रही है तो ये भी वात दोष बढ़ने का संकेत है ।
- हड्डियों के जोड़ों में बहुत दर्द व अधिक ढीलापन होने से चलने फिरने में परेशानी होती है । यह भी वात दोष की पहचान है ।
- पेट में बहुत ज्यादा कब्ज होना वात दोष बढ़ने की ओर इशारा करता है ।
- बहुत अधिक ठंड लगना व ठंड की वजह से पूरा शरीर कांपना ,ये भी वात दोष की अधिकता के कारण होता है ।
वात दोष बढ़ने पर हमारे शरीर को इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन में से अगर 2 से 4 लक्षण भी दिखें तो समझ जाना चाहिए कि शरीर में वात दोष बढ़ गया है ।
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वात दोष को सही करने के उपाय -
अब जब हमें पता चल गया है कि वात दोष बढ़ने के लक्षण क्या होते हैं तो अब हम जानने वाले हैं कि वात दोष बढ़ जाने पर क्या उपाय किए जा सकते हैं जिससे हमारे शरीर का वात संतुलित हो जाए । ऐसे कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं -
- वात दोष के लिए तेल को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा बताया गया है । तेल में यदि तिल का तेल हो उससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता है । तेल त्वचा के रूखेपन को कम करता है जो वात दोष का सबसे प्रमुख लक्षण है । इसलिए वात दोष वाले लोगों को अपने शरीर पर प्रतिदिन तेल की मालिश करनी चाहिए ।
- वात दोष वाले लोगों के शरीर में हल्केपन की समस्या देखने को मिलती है । इसके लिए अधिक से अधिक पौष्टिक खाना ग्रहण करना चाहिए । पौष्टिक खाने में सभी प्रकार की दालें , हरी सब्जियां व दूध से बने हुए पदार्थ शामिल हैं।
- वात दोष में ठंड अधिक लगती है इससे बचने के लिए खाने में ज्यादा से ज्यादा गरम चीजों का प्रयोग करें । सूखे मेवे , गुड़ , गरम पानी , गरम खाना ये सब चीजें वात दोष के लिए लाभकारी सिद्ध होंगी ।
- वात दोष के लोग हमेशा मानसिक व शारीरिक रूप से अशांत व अस्थिर होते हैं । इसके लिए जमीन के अंदर उगने वाली चीजों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से हमने वात दोष से उत्पन्न होने वाली समस्याएं व उनके उपायों को विस्तार से समझा । वात के संतुलन के मुख्यतः दूध के बने पदार्थों , हरी सब्जियों व दालों का सेवन करें । तेल सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा है, इस बात का जरूर ध्यान रखें ।
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