पितृपक्ष, भारतीय पौराणिक परंपरा में माता-पिता और पूर्वजों को समर्पित किया जाने वाला महत्वपूर्ण महीना है। यह श्राद्ध प्राथमिकता का साथ आता है जिसमें अमावस्या के दिन पितरों के आत्माओं की शांति के लिए अनुष्ठान किया जाता है।
पितृपक्ष के दौरान, परमपिता और पूर्वजों को यदि आप उनकी यादें, आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, तो उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यह मान्यता है कि इस समय आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने परिवार के सदस्यों से आशीर्वाद और प्रेम प्राप्त करती हैं।
पितृपक्ष 2023 में 6 सितंबर से 20 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान, अमावस्या के दिन श्राद्ध का अधिकार होता है, लेकिन इसके अलावा भी पितृपक्ष के दौरान विशेष तरीके से पूजा करने का महत्व है।
तर्पण: इस अनुष्ठान में आपको अपने पूर्वजों के लिए पानी और तिल की बालियाँ अर्पित करनी होती हैं। इसे मान्यता है कि इससे शांति मिलती है और वो आत्माएं संतुष्ट होती हैं। पितृपक्ष के दौरान रोज़ तर्पण करें।
भोजन दान : अपने पूर्वजों के पसंदीदा व्यंजनों का निर्माण करें और उन्हें अर्पण करें। इसमें उनके पसंदीदा मिठाइयाँ, फल, और अन्य शाकाहारी व्यंजन शामिल हो सकते हैं। इस खाना को एक ब्राह्मण या पुजारी को दान के रूप में अर्पित करें, जिससे यह पूर्वजों को प्रसन्न करता है।
पितृदान: आप पितृपक्ष के दौरान धान, कपास, या अन्य धर्मिक दान दे सकते हैं। यह आत्माओं को शांति दिलाने में मदद करता है।
पंचगव्य सेवन: पंचगव्य (गोमूत्र, गोमय, दही, दूध, घी) का सेवन करने से आप पितृपक्ष के दौरान आत्माओं को शांति प्रदान कर सकते हैं।
दान: पितृपक्ष में गरीबों को धन देना एक अच्छा उपाय हो सकता है। यह पितृदान के रूप में किया जा सकता है और आत्माओं को आनंदित कर सकता है।
पितृपक्ष एक आदर्श अवसर है अपने पितरों की स्मृतियों को महत्वपूर्ण बनाने का और उनके प्रति आपकी कृतज्ञता और प्रेम का अभिव्यक्ति करने का।
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