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रत्नों की सीरीज में आज हम लहसुनिया रत्न की बात करने जा रहे हैं। आज के लेख में हम जानेंगे कि लहसुनिया रत्न का स्वामी ग्रह कौन है? लहसुनिया रत्न कब पहना जाता है? इसे पहनने से जातक को क्या फायदा होता है? इसके साथ ही हम लहसुनिया रत्न धारण करने की विधि भी जानेंगे।
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लहसुनिया रत्न के स्वामी-
लहसुनिया रत्न का स्वामी ग्रह केतु को माना जाता है। केतु आध्यात्म व रहस्य का कारक ग्रह है। जिस जातक के जीवन में केतु की स्थिति खराब चल रही हो, उसका आध्यात्म में मन नहीं लगता है व वह किसी भी चीज के पीछे छुपे गूढ अर्थ को समझ पाने में असमर्थ होता है।
लहसुनिया रत्न कब पहनें?
लहसुनिया रत्न मुख्यतः जन्म कुंडली में केतु की स्थिति को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में केतु ग्रह बलहीन हैं और केतु से संबंधित समस्याओं का सामना उन्हें करना पड़ रहा है तो ऐसे जातकों को केतु का रत्न लहसुनिया अवश्य पहनना चाहिए। हालांकि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जातक की जन्म कुंडली में केतु कारक ग्रह के रूप में उपस्थित हों। आइए कुछ बिंदुओं के माध्यम से समझ लेते हैं कि केतु रत्न लहसुनिया कब पहनना चाहिए-
- जिन जातकों की जन्म कुंडली के दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें या दसवें भाव में केतु ग्रह विराजमान हैं, ऐसे जातक केतु रत्न लहसुनिया पहन सकते हैं।
- जिन जातकों की जन्म कुंडली के किसी भाव में मंगल ग्रह, बृहस्पति या शुक्रदेव के साथ युति बना रहे हों, ऐसे जातक भी लहसुनिया रत्न धारण कर सकते हैं।
- जिन जातकों के जीवन में केतु ग्रह से संबंधित कुछ समस्या चल रही है, उन्हें लहसुनिया रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
- जो जातक किसी भी प्रकार के गुप्त रोग या नेत्र रोग का सामना कर रहे हैं, उनके लिए केतु रत्न लहसुनिया बहुत लाभकरी सिद्ध होगा।
लहसुनिया के फायदे-
ज्योतिष शास्त्र में लहसुनिया रत्न पहनने के अनेकों फायदे बताए गए हैं जिनमें से कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं-
- जादू टोना व भूत प्रेत जैसी समस्याओं में लहसुनिया रत्न बहुत फायदेमंद माना जाता है। जो जातक ऐसे किसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, उन्हें केतु रत्न लहसुनिया पहनने से अवश्य लाभ प्राप्त होगा।
- जिन जातकों का आध्यात्म में मन नहीं लग रहा है ऐसे जातकों को भी केतु रत्न लहसुनिया अवश्य धारण करना चाहिए। केतु आध्यात्म के कारक ग्रह हैं जिसके कारण जातक को आध्यात्म से जुड़े क्षेत्र में विशेष सफलता मिलती है।
- जो जातक शेयर मार्केट में बहुत अधिक धन निवेश करते हैं, उनके लिए लहसुनिया रत्न विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इसे धारण करने से जातक को धन लाभ होने की संभावना में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।
किन लग्नों में लहसुनिया पहना जाता है?
ज्योतिष शास्त्र में लहसुनिया रत्न पहनने के लिए शुभ लग्नों की संख्या 6 मानी गई है। इन लग्नों में वृषभ लग्न, मिथुन लग्न, कन्या लग्न, तुला लग्न, मकर लग्न व कुम्भ लग्न शामिल हैं।
लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहनें?
लहसुनिया रत्न को हाथ की मध्यमा उंगली में पहनना सर्वाधिक शुभ माना जाता है। इस उंगली में रत्न धारण करने से जातक को इस रत्न का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
लहसुनिया रत्न किस धातु में पहनें?
लहसुनिया रत्न के लिए शुभ धातु को लेकर ज्योतिषविदों में मतभेद हैं। कुछ विद्वान इसे चाँदी की धातु के साथ पहनना शुभ मानते हैं तो कुछ विद्वान पंचधातु या अष्टधातु के साथ इसे पहनना अधिक शुभ मानते हैं।
लहसुनिया रत्न पहनने के शुभ दिन-
लहसुनिया रत्न पहनने के लिए शनिवार व बृहस्पतिवार दोनों दिन शुभ माने गए हैं।
निष्कर्ष-
इस प्रकार से हमने लहसुनिया रत्न से जुड़े सभी पहलुओं का विस्तार से विश्लेषण किया।
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