हर्निया एक ऐसी बीमारी है जो खतरनाक नही है लेकिन ये बीमारी बिना इलाज के ठीक भी नही होती है। हर्निया बीमारी तब होती है जब कोई टिश्यू या अंग बॉडी के किसी छेद से उभरकर बड़ी होने लगती है और बाहर आ जाती है। ये बीमारी नाभि, जांघ के ऊपर या कमर में हो सकती है। ये बीमारी महिलाओ, पुरषों और बच्चो सभो को हो सकती है।
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जिस व्यक्ति को हर्निया हो जाता है उसे खांसने और खड़े होने में बहुत दिक्कत होती है क्योकि इस बीमारी के चलते मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। हर्निया बीमारी है ये तो सब जानते हैं लेकिन ये क्या है या इसके लक्ष्ण क्या है और क्या इसका आयुर्वेद में इलाज है ये सब नही जाते हैं। उनकी इसी जानकारी को पूरा करने के लिए हमने आज ये पोस्ट तैयार की है।
हर्निया एक बीमारी है जिसमे मांसपेशी या कोई टिश्यू या कोई आंत किसी छेद से बाहर आ जाती है। उदाहरण :एक व्यक्ति की आंतो की दीवार कमजोर है तो कई बार आंत उसमे छेद करके बाहर आने लगती है। ये बीमारी दिखाई नही देती है लेकिन जब इसमें दर्द उठता है तो बहुत ज्यादा होता है। वैसे तो हर्निया जानलेना बीमारी नही है लेकिन ध्यान न दें पर या कुछ जटिलताएँ आने पर व्यक्ति को सर्जरी करानी पड सकती है।
इस हर्निया में यदि आंत कमजोर पेट के नीचे वाले हिस्से या कमजोर रास्ते से बाहर आ जाए तो इस तरह का हर्निया होता है। ज्यादातर लोगो को इस प्रकार की हर्निया होती है।
इस तरह का पैदा हुए बच्चो या 6 महीने तक के बच्चो को होता है। ऐसा तब होता है जब बच्चो की आंते पेट के नाभि वाले हिस्से के पास से बाहर निकल आती हैं। जब बच्चा रोता है तब ये हर्निया देखा जा सकता है। वैसे तो ये अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन ठीक नही होने पर इसे सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जाता है।
इस प्रकार का हरियां ज्यादातर महिलाओं में होता है। ये जांघ के ऊपर वाले हिस्से में होता है। इस तरह के हर्निया में खाँसने के समय बहुत दर्द होता है।
हर्निया पेट की मांसपेशियों और दीवार को कमजोर कर देता है। ये पेट के नीचे वाले हिस्से में गाँठ जैसी दिखती है। जब कोई सामान उठाया जाता है तब व्यक्ति को तेज दर्द होता है। इस बीमारी में उसे खड़े होने या स्ट्रेस झेलने में मुश्किल होती है। इसके अलावा व्यक्ति को जी मिचलाना, दर्द और उल्टी जैसा भी लगता है।
हर्निया के कारण और जोखिम : हर्निया उन्हें होता है जिनके बॉडी के टिश्यू कमजोर होते हैं। कुछ के बचपन से ही कमजोरी के कारण टिश्यू कमजोर हो जाते है। कुछ लोगो के लम्बी बीमारी के कारण, दुर्घटना के कारण, किसी ऑपरेशन के कारण टिश्यू कमजोर हो जाते हैं। कई बार ज्यादा भरी सामान उठाने से या ज्यादा शरीरिक परिश्रम करने से पेट पर दबाव बढ़ जाता है।
कई बार इसके पीछे का कारण मोटापा होता है। कोई भारी सामान बिना तैयारी के उठाने से भी पेट पर दबाव पड़ता है। लगातार खांसे और फ्रेश होते समय मांसपेशियों में हो रहे खिंचाव होने के कारण, शरीर को पूर्ण पोषण न मिलने के कारण भी ये परेशानी होने लगती है। कई बार ये परेशानी उन लोगो को भी हो जाती है जिसे कब्ज ज्यादा समय तक बना रहता है। कुछ महिलाओ को गर्भावास्ता के कारण भी ये परेशानी हो जाती है। हर्निया हेरीडीटी अर्थात अनुवांशिक भी हो सकता है।
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हर्निया को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है, जरुरत है कुछ सावधानियां रखनी की।
आयुर्वेद द्वारा बताए गए जीवन शैली में बदलाव के साथ साथ आयुर्वेद का इलाज भी प्रभावी है।
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