आजकल कई लोग फैटी लीवर की बीमारी से ग्रस्त हैं। लीवर शरीर का मुख्य हिस्सा है जो हमारे शरीर को हमारे द्वारा खाए भोजन को पचाने में मदद करता है। इतना ही लीवर ब्लड शुगर के लेवल को कण्ट्रोल करने में, संक्रमण से लड़ने में, बॉडी से टोक्सिन पदार्थ निकलने में, प्रोटीन बनाने में और फैट को कम करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है।
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लीवर की कोशिकाओं में फैट का जमा होना सामान्य बात है लेकिन यदि वो लीवर के भार से 10 परसेंट अधिक जमा हो जाता है तो ये परेशानी फैटी लीवर में तब्दील हो जाती है। फैटी लीवर होने की वजह से लीवर अपना काम अच्छे तरीके से नही कर पाटा है और व्यक्ति को कई परेशानियाँ होने लगती हैं।
ये दो प्रकार के होते हैं एक एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज और दूसरा है नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज। व्यक्ति जब अत्यधिक शराब पीता है तब लीवर में ज्यादा फैट जमा हो जाने के कारण लीवर में सुज्जन आ जाती है और लीवर ख़राब होने लगता है। इस तरह के लीवर डिजीज को एल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज कहते हैं। खराब जीवन शैली और ज्यादा चिकनाई वाले वसायुक्त भोजन करने से लीवर में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है। इसे नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज कहते हैं।
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आयुर्वेद अनुसार किसी बीमारी को ठीक करने के लिए सिर्फ दवाइयां ही नही बल्कि जीवनशैली में बदलाव और उचित आहार भी जरुरी है। आयुर्वेद अनुसार व्यक्ति में वात, पित्त एवं कफ तीन दोष होते हैं। पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर वात, पित्त एवं कफ दोष को ठीक करते हैं और फिर जड से उसका इलाज करते हैं। एलोपेथिक में इसका इजाज है जो कुछ समय तक लक्ष्ण कम कर देगा लेकिन आयुर्वेद शरीर से टोक्सिन तत्वों को निकालकर दोषों को संतुलत करके जड से ठीक कर देता है। सही जीवनशैली, सही खानपान और आयुर्वेदिक उपचार ये तीनो मिलकर फैट्टी लीवर की परेशानी को दूर कर सकते हैं।
आयुर्वेद अनुसार फट लीवर पित्त की विकृति से उत्पन्न होता है जिसका विरेचन आवश्यक है। विरेचन से पित्त का शमन किया जाता है और शरीर से टोक्सिन तत्व निकले जाते हैं। शरद ऋतू को विरेचन के लिए उपयुक्त बताया गया है। उनके अनुसार यदि व्यक्ति तीन बार शरद ऋतू में विरेचन करवाए तो उसका लीवर पहले जैसा हो जाएगा।
आंवला में विटामिन सी और एन्टी-ऑक्सिडेंट होते हैं जो लीवर को स्वास्थ्य रखने के लिए बहुत जरुरी होता है। रोज पानी के साथ ४ गरम सूखे आवले का चूर्ण २० से 25 दिन तक दिन में तीन बार लिया जाए फैटी लीवर में आराम आता है। चूर्ण नही है तो आप तीन से चार आंवला रोज खाए।
छाछ में नमक, हींग, काली मिर्च और जीरा डालकर मिलाए और पी ले। इससे फैटी लीवर में आराम एगा।
ग्रीन टी भी फैटी लीवर को ठीक कर सकती है। इसमें मौजूद एन्टीऑक्सिडेंट्स लीवर को ठीक से काम करने में मदद करते हैं।
रोज सुबह और शाम को 20-20 मि.ली। गौमूत्र खाली पेट पानी में मिलाकर लिया जाए तो फैटी लीवर ठीक हो सकता है।
दोनों में ही विटामिन सी भरपूर होता है। इसे अपने आहार में रोजाना शामिल करे।
यदि करेले का जूस नियमित रूप से पिया जाए तो फैटी लीवर की समास्या से बचा जा सकता है। जूस नही पी सकते हैं तो रोज के खाने में करेला शामिल करे।कुछ ही दिनों में आपको फैटी लीवर के लक्ष्ण दूर होते महसूस होंगे।
इसके सेवन से लीवर में जमा हुआ फैट कम होने लगता है।
जो फैटी लीवर के रोगी हैं उन्हें रोज 200 से 300 ग्राम जामुन खाली पेट खाने चाहिए।
कच्चे टमाटर का सेवन भी फैटी लीवर के रोगियों के फायदेमंद होता है।
हल्दी का प्रयोग भी फैटी लीवर बीमारी में लाभकारी है क्योकि इसमें हेपटो प्रोटेक्टिव गुण होता है को लीवर को सही तरीके से काम करने में मदद करता है।
नारियल के पानी में मौजूद हेपेटो प्रोटेक्टिव और एंटी ऑक्सीडेंट फैटी लीवर के रोगी को बहुत आराम देता है।
ज्यादा परेशानी हो रही हो आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क जरुर करे।
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