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हम हमेशा से एक पंक्ति सुनते आए हैं कि फलां व्यक्ति के ग्रह-नक्षत्र ठीक नहीं चल रहे हैं या फलां व्यक्ति के ग्रह-नक्षत्र बहुत अच्छे चल रहे हैं ।ग्रहों के बारे में तो अधिकांश लोग जानते हैं किन्तु नक्षत्रों के बारे शायद कम ही लोग जानते हैं । आज का लेख पढ़ने के बाद आप नक्षत्रों के बारे में सब कुछ जान जाएंगे ।
आज के लेख में हम बात करने जा रहे हैं कि नक्षत्र क्या होते हैं ?नक्षत्र कितने होते हैं ?नक्षत्र का क्या महत्व होता है ?इसके साथ ही हम सभी नक्षत्रों के नाम व उनके स्वामी के बारे में भी जानने वाले हैं ।
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नक्षत्र किसे कहते हैं ?
हम सबने आकाश में तारों को देखा होगा , कई तारों को एक साथ यानि तारों का झुंड भी देखा होगा । बस फिर आपके लिए नक्षत्र समझना बहुत आसान है।दरअसल आकाश में दिखने वाले तारों के समूह को ही नक्षत्र कहा जाता है। नक्षत्रों का प्रयोग आकाश मण्डल की दूरी मापने के लिए भी किया जाता है । ज्योतिष शास्त्र में पूरे आकाश मण्डल को 27 भागों में बांटा गया है और आकाश मण्डल के इन्हीं 27 भागों को नक्षत्र कहा जाता है ।
सभी नक्षत्रों के नाम -
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं जो निम्नलिखित हैं -
- अश्विनी नक्षत्र
- भरणी नक्षत्र
- कृत्तिका नक्षत्र
- रोहिणी नक्षत्र
- मृगशिरा नक्षत्र
- आर्द्रा नक्षत्र
- पुनर्वसु नक्षत्र
- पुष्य नक्षत्र
- आश्लेषा नक्षत्र
- मघा नक्षत्र
- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र
- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
- हस्त नक्षत्र
- चित्रा नक्षत्र
- स्वाति नक्षत्र
- विशाखा नक्षत्र
- अनुराधा नक्षत्र
- ज्येष्ठा नक्षत्र
- मूल नक्षत्र
- पूर्वा पाढ़ा नक्षत्र
- उत्तरा पाढ़ा नक्षत्र
- श्रवण नक्षत्र
- धनिष्ठा नक्षत्र
- शतभिषा नक्षत्र
- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र
- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र
- रेवती नक्षत्र
इस प्रकार से ज्योतिष शास्त्र में इन 27 नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है ।
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नक्षत्रों के स्वामी -
ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक नक्षत्र के अलग अलग स्वामी बताए गए हैं जो निम्नलिखित हैं -
- अश्विनी नक्षत्र के स्वामी- अश्विनी कुमार
- भरणी नक्षत्र के स्वामी- काल
- कृत्तिका नक्षत्र के स्वामी - अग्नि देव
- रोहिणी नक्षत्र के स्वामी - ब्रह्म
- मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी - चंद्र देव
- आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी- रुद्र देव
- पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी - अदिति
- पुष्य नक्षत्र के स्वामी - बृहस्पति देव
- आश्लेषा नक्षत्र के स्वामी- सर्प
- मघा नक्षत्र के स्वामी - पितर
- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी - भग देव
- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी - अर्यमा
- हस्त नक्षत्र के स्वामी - सूर्य देव
- चित्रा नक्षत्र के स्वामी - विश्वकर्मा
- स्वाति नक्षत्र के स्वामी - पवन
- विशाखा नक्षत्र के स्वामी - शुक्राग्नि
- अनुराधा नक्षत्र के स्वामी - मित्र
- ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी - इन्द्र देव
- मूल नक्षत्र के स्वामी - निऋति
- पूर्वा पाढ़ा नक्षत्र के स्वामी - जल देव
- उत्तरा पाढ़ा नक्षत्र के स्वामी - विश्वे देव
- श्रवण नक्षत्र के स्वामी - विष्णु देव
- धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी - वसु देव
- शतभिषा नक्षत्र के स्वामी - वरुण देव
- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी - अजैकपाद
- उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी - अहिर्बुध्न्य
- रेवती नक्षत्र के स्वामी - पूषा
इन 27 नक्षत्रों के अलावा एक अन्य नक्षत्र अभिजीत भी माना गया है जिसके स्वामी ब्रह्म हैं ।
नक्षत्र का महत्व -
जिस प्रकार से व्यक्ति के जीवन में राशि और ग्रहों का महत्व होता है ठीक वैसे ही नक्षत्रों का भी महत्व होता है । नक्षत्रों की मदद से हम अपने भविष्य के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं व उसके अनुसार अपनी योजना बना सकते हैं । इसके अलावा नक्षत्रों की मदद से हम व्यक्ति के चरित्र व व्यक्तित्व से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातों को जान सकते हैं ।
इस प्रकार से हमने ज्योतिष शास्त्र में बताए गए सभी नक्षत्रों के नाम व उनके स्वामी के विषय में जाना । साथ ही मानव जीवन में नक्षत्रों के योगदान का भी विश्लेषण किया ।
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