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बुखार ऐसा विकार है जिसका सामना हर एक व्यक्ति को अपने जीवन में करना पड़ता है। आप कितना भी स्वस्थ रहने की कोशिश कर लो, लेकिन बुखार आपको कभी ना कभी जरूर घेर लेता है। बुखार से राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे उत्तम विकल्प मानी जाती है क्योंकि आयुर्वेदिक औषधियाँ हमारे शरीर पर अन्य कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालती हैं। इसके अलावा आयुर्वेदिक औषधि की मदद से हम किसी भी बीमारी को पूरी तरह से यानि जड़ से समाप्त कर सकते हैं।
आज के लेख में हम जानेंगे कि आयुर्वेद में बताए गए किन सरल उपायों को अपनाकर बुखार से राहत पाई जा सकती है?
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बुखार आने के कारण-
बुखार आने के कई कारण हो सकते हैं। कभी ये मौसम में हुए परिवर्तन के कारण आता है, कभी बहुत ज्यादा काम कर लेने से उत्पन्न हुई थकान के कारण आता है और कभी अस्तव्यस्त दिनचर्या के चलते भी बुखार जैसी समस्या देखने को मिल जाती है। जब हमारे शरीर में कोई ऐसा अवांछित तत्व प्रवेश कर जाता है, जो हमारे शरीर के लिए अनुकूल नहीं है तब हमारा शरीर आत्मरक्षा में उसका प्रतिरोध करता है। ऐसी स्थिति में हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। कई बार हमारा शरीर लड़ने में सक्षम होता है और उस अवांछित तत्व को समाप्त कर देता है और कई बार जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो वह लड़ पाने में असमर्थ होता है । ऐसे में बुखार कुछ लंबे समय तक चल जाता है और हमें उपचार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद में बताया गया उपचार ना केवल सुलभ वरन अत्यंत प्रभावी भी होता है
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बुखार उतारने के आयुर्वेदिक उपाय-
आयुर्वेद में बुखार उतारने के लिए निम्नलिखित उपाय बताए गए हैं-
- शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि बुखार आते ही हमें औषधि नहीं लेनी चाहिए। सबसे पहले हम कुछ सामान्य उपायों को करके देख सकते हैं, उसके बाद ही औषधि का विचार करना चाहिए। इन सामान्य उपायों में पहला उपाय यह है कि बुखार से पीड़ित व्यक्ति को गरम पानी पीना चाहिए। इसके साथ रोगी को हल्के भोजन का सेवन करना चाहिए।
- अगर पहले उपाय से शरीर का ताप कम नहीं होता है तो आयुर्वेद मे बताई गई औषधियों का विचार करना चाहिए। औषधीय दृष्टि से नीम का आयुर्वेद में बहुत महत्व है। नीम के पत्ते व नीम की छाल को सोंठ व काली मिर्च के साथ पानी में उबालकर पीने से बुखार में आराम मिलता है।
- अतीस के चूर्ण को आयुर्वेद में अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसकी प्रकृति गरम मानी जाती है इसलिए इसके चूर्ण के सेवन से शरीर में अत्यधिक मात्रा में पसीना आने लगता है। पसीने के साथ शरीर में उपस्थित अवांछित तत्व बाहर निकल जाते हैं और हमें बुखार से राहत मिलती है।
- आक की जड़ के चूर्ण को भी बुखार उतारने के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसके चूर्ण का सेवन करने से चढ़े हुए ताप में कुछ ही समय में राहत मिल जाती है।
- धतूरे के पत्ते व नागर बेल को काली मिर्च के साथ पीस कर बनाया गया चूर्ण ताप को उतारने में बहुत मददगार साबित होता है।
हरड़, बहेड़ा व आंवला का चूर्ण, जिसे त्रिफला चूर्ण भी कहा जाता है, इसके सेवन को बुखार का नाश करने के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। पिछले लेख में हम त्रिफला चूर्ण के अन्य गुणों पर विस्तार से बात कर चुके हैं।
निष्कर्ष-
इस प्रकार से हमने जाना कि बुखार आने पर आयुर्वेद में बताई गई चिकित्सा बहुत कारगर सिद्ध हो सकती है। आप भी ऊपर बताई गई औषधियों का सेवन विशेषज्ञ से परामर्श करके कर सकते हैं।
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