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अपने जीवन में सामान्य सिर दर्द का सामना तो हर व्यक्ति करता है किन्तु माइग्रेन का दर्द सामान्य दर्द से बहुत अलग होता है । जिन लोगों ने माइग्रेन से होने वाले दर्द का सामना किया है या कर रहे हैं , वो लोग इसकी गंभीरता को बखूबी समझ सकते हैं । ये दर्द सिर के जिस हिस्से में होता है ,भयानक कष्टदायक होता है और ऐसा लगता है मानो सिर फटा ही जा रहा है । सिर के साथ ही आँखों में भी दर्द होता है जिसके कारण व्यक्ति उस समय में कोई भी कार्य कर पाने में सक्षम नहीं होता है ।
आज हम आयुर्वेद की मदद से यह समझेंगे कि माइग्रेन होने का प्रमुख कारण क्या है ? साथ ही यह भी समझेंगे कि माइग्रेन के दर्द से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है ?
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माइग्रेन क्यों होता है ?
जैसा कि हम जानते हैं कि हमारा शरीर वात दोष ,पित्त दोष व कफ दोष से मिलकर बना है । इन तीनों में से जब दो दोष यानि वात दोष और पित्त दोष शरीर में असंतुलित हो जाते हैं तो माइग्रेन जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है । पित्त दोष बढ़ने का प्रमुख कारण हमारी अनियमित दिनचर्या है । जैसे समय पर भोजन ना करना , देर रात तक जागते रहना , तली हुई व अधिक मिर्च मसाले वाली चीजें खाना , अधिक मात्रा में चाय-कॉफी का सेवन आदि । इन सभी कारणों से शरीर में पित्त दोष बढ़ता है । इसके अलावा अत्यधिक चिंता करना व धूप में घूमने से भी पित्त दोष बढ़ जाता है । पित्त दोष बढ़ने के कारण वात की गति अवरुद्ध होती है जिससे वात दोष भी असंतुलित हो जाता है । इन दोनों के बिगड़ने से माइग्रेन की समस्या उत्पन्न होती है ।
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माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के सरल उपाय -
माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के सरल उपाय निम्नलिखित हैं -
- खाने में देशी गाय के घी का सेवन करें । देशी घी हमारे शरीर में वात व पित्त दोनों को संतुलित करता है ।
- शाम का खाना सोने से 3 घंटे पहले खा लेना चाहिए । इसके लिए उपयुक्त समय शाम के 7 बजे के आसपास का माना गया है । इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि रात के समय हल्का खाना ही खाना चाहिए । जल्दी खाने और हल्का खाना खाने से खाना अच्छे से पच जाता है जिससे शरीर में पित्त संतुलित रहता है ।
- माइग्रेन से बचने के लिए आप आयुर्वेद में बताए गए पंच कर्मों में से विरेचन क्रिया का सहारा ले सकते हैं । पंचकर्म के बारे में हम एक अन्य लेख में विस्तार से बात कर चुके हैं । इसके लिए आप मुलेठी , हरण या त्रिफला के चूर्ण का सेवन कर सकते हैं ।
- माइग्रेन के लिए आयुर्वेद में बताई गई नस्य चिकित्सा भी बेहद प्रभावी सिद्ध होती है । अपने पिछले लेख में हम जान चुके हैं हैं कि गले के ऊपर के सभी विकारों में नस्य चिकित्सा बहुत मददगार साबित होती है । इस चिकित्सा में नाक के माध्यम से औषधि को शरीर में पहुंचाया जाता है । इसके लिए देशी घी को हल्का गरम करके उसकी कुछ बूंदों को भी नाक में डाला जा सकता है।
- माइग्रेन के लिए आयुर्वेद में लेपन चिकित्सा का भी उल्लेख है । लेपन चिकित्सा में आप चंदन या जायफल को घिस कर उसका लेप माथे पर लगा सकते हैं । इसके अलावा सिर में तेल की मालिश करने से भी माइग्रेन के दर्द में राहत मिलती है ।
- अंतिम उपाय तनाव से बचने के लिए है क्योंकि तनाव माइग्रेन का प्रमुख कारण है । तनाव से बचने के लिए प्रतिदिन योग व प्राणायाम अवश्य करें ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से आप आयुर्वेद में बताए गए सरल उपायों को अपनाकर माइग्रेन के दर्द को कम कर सकते हैं या पूरी तरह छुटकारा भी पा सकते हैं ।
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