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वर लक्ष्मी का व्रत धन संपत्ति की कमी दूर करता है।
धन की आवश्यकता सभी को होती है क्योंकि इस संसार में जीवित रहने के लिए धन महत्वपूर्ण वास्तु है। हिंदू धर्म के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ , काम और मोक्ष में भी धन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया हैं। परन्तु अनेक लोग जीवन भर धन कमाने के लिए कड़ी मेहनत करते है फिर भी मनचाही सफलता प्राप्त नहीं होती। यदि आप भी कड़ी भाग-दौड़ के बाद भी परिवार का ठीक से पालन पोषण करने योग्य धन भी अर्जित नहीं कर पाते, तो यह चमत्कारी व्रत के बारे में सेआपको धनवान बनने से कोई नहीं रोक पायेगा, जिसे आप पूर्ण श्रद्धा भक्ति और विधि के साथ करेंगे तो फल अवश्य मिलेगा।
वर का अर्थ है वरदान और लक्ष्मी काअर्थ है धन वैभव। वर लक्ष्मी व्रत करने वाले के समस्त परिवार को सुख और संपन्नता की प्राप्ति होती हैं।
मान्यता: यह व्रत प्रमुख्तः दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित हैं परन्तु इसके चमत्कारी प्रभाव के कारण अब उतर भारत में भी कई राज्यों में वर लक्ष्मी व्रत किया जाना लगा हैं। विष्णु पुराण और नारद पुराण में इस व्रत के बारे में एक उल्लेख है; जो व्यक्ति वर लक्ष्मी व्रत करता है वह धन वैभव, संपति और उत्तम संतान से युक्त होता हैं। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी का पूर्ण वरदान प्राप्त होता हैं और व्यक्ति के अनेक पीढ़ियों के अभाव और गरीबी की छाया मिट जाती हैं।
2021 में वर लक्ष्मी व्रत की तिथि 20 अगस्त।
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व्रत का प्रभाव:
वर लक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है (1) श्री (2) भू (3) सरस्वती (4) प्रीति (5) कीर्ति (6) शांति (7) संतुष्टि (8) पुष्टि अर्थात वर लक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन , संपति, ज्ञान , प्रेम , प्रतिष्ठता , शांति , संपन्नता और आरोग्यता आती है इसके करने से सौंदर्य में वृद्धि होती हैं।
वर लक्ष्मी व्रत केवल विवाहित महिलाएँ ही कर सकती हैं।
कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत वर्जित हैं।
परिवार के सुख और संपन्नता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं।
यदि पति पत्नी दोनो साथ में यह व्रत रखे तो दुगना फल प्राप्त होता हैं।
व्रत के प्रभाव से जीवन में समस्त अभाव और आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं।
व्रती के जीवन में धन आगमन आसान हो जाता हैं।
वर लक्ष्मी व्रत की कथा:
भगवान शिव ने माता पार्वती को वर लक्ष्मी व्रत की कथा सुनाई थी। जिसके अनुसार मगध देश में कुंडी नाम का एक नगर था जिसका निर्माण सोने से हुआ था। इस नगर में चरुमती नामक एक महिला रहती थी जो अपने परिवार का विशेष तौर पर ख्याल रखती थी। चरुमती माँ लक्ष्मी की परम उपासक थी और माँ लक्ष्मी महिला से काफी परसन्न रहती थी। एक बार माँ लक्ष्मी ने उनके सपने में आकर उनको इस व्रत के बारे मे बताया। चरूमती ने सभी महिलाओं के साथ मिलकर इस व्रत को रखा और विधि विधान से पूजा संपन्न की। जैसे ही चारुमती की पूजा संपन्न हुई वैसे ही उनके शरीर पर सोने के कई आभूषण सज गए और उनका घर भी धन धान्य से भर गया। उसके बाद नगर की सभी महिलाओं ने इस व्रत को रखना शुरू कर दिया और फिर इस व्रत को वर लक्ष्मी व्रत के रूप में मान्यता मिली।
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ममता अरोरा
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