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आयुर्वेद के अनुसार आदर्श दिनचर्या

Created by Asttrolok in Astrology 30 Aug 2023
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आयुर्वेद के अनुसार आदर्श दिनचर्या

आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या कैसी होनी चाहिए?

आयुर्वेद संहिता के अनुसार हमारी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ,आज हम इस विषय को समझने वाले हैं । आयुर्वेद में हमारे लिए सुबह उठने से लेकर रात्रि  के सोने तक की पूरे दिन के क्रियाकलापों के बारे में बताया गया है । सामान्यतः हम ये पाते हैं कि पहले के लोग या हमारे दादा परदादा काफी हद तक इसी दिनचर्या का अनुपालन करते थे और वो लोग आज के समय के लोगों से ज्यादा स्वस्थ व दीर्घायु होते है ।  समय के साथ हमारी दिनचर्या में भी व्यापक परिवर्तन होता चल गया और आज हम में से अधिकांश लोगों की दिनचर्या अस्त व्यस्त रहती है । 

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हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है । इसके अलावा हमारे शरीर में तीन तरह एक दोष पाए जाते हैं - पहला वात , दूसरा पित्त और तीसरा कफ । आयुर्वेद के अनुसार सुबह उठने का सबसे उपयुक्त समय ब्रम्ह मुहूर्त होता है यानि 4 बजकर 30 मिनट से लेकर 5 बजकर 30 मिनट का समय उठने के लिए शुभ माना जाता है । ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दौरान हमारा मस्तिष्क कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है। आयुर्वेद में इस समयकाल को ध्यान व योग के लिए सबसे बेहतर समय माना गया है और ध्यान व योग की हमारे जीवन में क्या महत्ता है ये किसी से भी छुपी नहीं है । ब्रम्ह मुहूर्त को पढ़ने के लिए भी सबसे उपयुक्त समय माना जाता है । इस दौरान पढ़ने से हमें चीजें जल्दी समझ में आ जाती हैं और लंबे समय तक याद भी रहती हैं ।

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सुबह उठकर हमें सबसे पहले अपना पेट साफ कर लेना चाहिए व इसके बाद अपने मुंह व आँखों पर ठंडे पानी के छींटे मार कर धुलना चाहिए जिससे हमारे अंदर ताजगी का संचार होता है । इसके बाद हमें अपने शरीर की बनावट के अनुसार व्यायाम करना चाहिए । व्यायाम करने से हमारे शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे पूरे दिन के काम काज में हमारा मन लगा रहता है ।

व्यायाम करने के 30 से 40 मिनट के बाद हमें ठंडे पानी से नहाना चाहिए । अगर मौसम बहुत ठंडा है तो आप कम से कम अपने सिर को ठंडे पानी से जरूर धोएं । बाकी सम्पूर्ण स्नान के लिए आप हल्का गुनगुना पानी इस्तेमाल कर सकते हैं ।  नहाने के नाद आयुर्वेद में ध्यान करने की सलाह दी गई है । बहुत से लोग नहाकर रोज पूजा पाठ करते हैं । इसके बाद सूर्योदय के साथ आपको नाश्ता कर लेना चाहिए । सूर्य निकलते ही आपके शरीर के पाँच तत्वों में से एक, अग्नि तत्व सक्रिय हो जाता है जो हमारे पाचन में सहयोगी होता है । 

नाश्ता करने के बाद हम अपना कार्य कर सकते हैं । इसके बाद दोपहर के 1 बजे के आसपास आयुर्वेद में भोजन करने की सलाह दी गई है ।  आयुर्वेद में शाम के समय अपनी रुचि का कोई भी एक कार्य करने की सलाह दी गई है जैसे चित्रकारी करना या संगीत सीखना आदि । आयुर्वेद के अनुसार सूर्यास्त के कुछ समय बाद ही हम सबको रात्रि का भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए जिससे सोने के पहले भोजन की पाचन क्रिया आसानी से हो सके ।  भोजन करने के तुरंत बाद सो जाना हमारे शरीर में कई रोगों को जन्म दे सकता है ।  आयुर्वेद के अनुसार रात्रि में देर तक जागना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है । इसलिए रात्रि में समय से सो जाना और 7 से 8 घंटे तक की नींद को आयुर्वेद में आदर्श समय माना गया है ।

निष्कर्ष -

इस प्रकार से हमने जाना कि आयुर्वेद के अनुसार हमारी आदर्श दिनचर्या कैसी होनी चाहिए । इस दिनचर्या का पालन करने से आप स्वस्थ व लंबा जीवन बिता सकते हैं और अपनी शारीरिक व मानसिक सक्रियता से अपने कार्यक्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं ।

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