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कुंडली में षष्ठ भाव, अष्टम भाव एवं द्वादश भाव से किसी भी जातक की लड़ाई, झगड़ा या दुश्मनी देखी जाती है l
हालांकि इन तीनों भाव से हम रोग भी देखते हैं l कोई जकड़ा रोग जो ना जाने वाला हो l
दुश्मन हमारा बाहरी शत्रु है l उसी प्रकार से शारीरिक रोग हमारा आंतरिक शत्रु है l
कुंडली का षष्ठ भाव यानि लड़ाई, झगड़ा, शत्रुता, परेशानी संघर्ष l हालांकि यह संघर्ष का भी भाव है l स्पर्धा का भी भाव है l सेवा का भी भाव है l नौकरी का भी भाव है l कर्ज का भी भाव है l
लेकिन मैं आज बात कर रहा हूं l लड़ाई, झगड़े और जेल यात्रा की l
यह भाव जब सक्रिय होगा तभी लड़ाई झगड़ा या कुछ ऐसा मामला आएगा l
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उसके बाद आता है हमारे कुंडली का अष्टम भाव l जिसे हम आयु का भाव, गुप्त संपत्ति, वसीयत लाभ, अकस्मित दुर्घटना, अपंगता, जिद्दीपन, गुप्त ज्ञान, भ्रष्टाचार का भी भाव है l
लेकिन अगर किसी गंभीर लड़ाई, झगड़े के बात करें l जिससे बात बिल्कुल बिगड़ जाए यानि कि संभले नहीं l तो अष्टम भाव को जानना जरूरी है l
उसके बाद बारी आती है कोर्ट की यानी कोर्ट फीस और कोर्ट में लड़ने की बारी खर्च की बारी l यह जो व्यय होगा यह हमें द्वादश भाव ही बताएगा l
यह हमें सभी प्रकार के व्यय को दर्शाता है l मान, इज्जत, प्रतिष्ठा, सम्मान से लेकर धन का व्यय l एकांत का भी भाव द्वादश को ही माना जाता है l जेल यात्रा भी एकांत ही है l
इसी प्रकार तृतीय भाव को भी देखना चाहिए क्योंकि चतुर्थ भाव व्यक्ति का अपना घर होता है और घर से व्यय यानि तृतीय भाव l
इसे ऐसा समझ लें कि आप घर से दूर जा रहे हैं l
यानी तृतीयेश, सष्टेश, अष्टमेश और द्वादशेष का योग, युति या दृष्टि आपको जेल यात्रा करा सकता है l लेकिन यह आपके जिंदगी में तब सक्रिय होगा जब यह महादशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा में आएगी l
यह ग्रहों के सक्रियता पर निर्भर करता है और भाव की सक्रियता पर निर्भर करता है कि आप ( चोरी, डकैती, ठगी, लड़ाई, रेप, आपसी मतभेद ) किस विषय लेकर जेल जाएंगे ?
इस विषय पर पाप ग्रह शनि, मंगल, राहु, केतु की भी सक्रियता को देखिए l क्योंकि यह पाप ग्रह है l
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