Views: 599
वास्तु के महत्व पर हम पहले काफी बात कर चुके हैं इसलिए वास्तु का महत्व आप अब तक समझ ही गए होंगे । वास्तु सही होने पर कितना शुभ सिद्ध हो सकता है और वास्तु दोष होने पर हमें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है , यह तो हम जानते ही हैं । वास्तु शास्त्र के कई महत्वपूर्ण विषयों पर हमने अभी तक बात की है जैसे - नए घर का वास्तु , दुकान या कार्यालय का वास्तु , घर के रसोई घर का वास्तु , घर के पूजा स्थल का वास्तु व घर की सीढ़ियों की सही दिशा आदि । इनमें से किसी भी विषय पर विस्तार से जानने के लिए आप हमारे पुराने लेख पढ़ सकते हैं ।
आज हम वास्तु शास्त्र के कुछ सामान्य व सर्वमान्य नियमों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसमें दुकान , मकान , रसोई , बेडरूम आदि का वास्तु शामिल है ।
यदि आप ऑनलाइन वास्तु सलाहकार की तलाश कर रहे हैं, तो आपकी खोज यहाँ समाप्त होती है! कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया में कहां हैं। हमारे
वास्तु विशेषज्ञ मोनिका खंडेलवाल से ऑनलाइन संपर्क करें और वास्तु संबंधी समस्याओं का समाधान पाएं।
क्या आप
ज्योतिष कक्षाएं ऑनलाइन खोज रहे हैं? ज्योतिष संस्थान (एस्ट्रोलोक) आपको वास्तु पाठ्यक्रम, शुरुआती लोगों के लिए हस्तरेखा विज्ञान, अंक विज्ञान पाठ्यक्रम, आयुर्वेदिक ज्योतिष, ऑनलाइन प्रदान करता है।
ये ज्योतिष पाठ्यक्रम विश्वविख्यात ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल द्वारा पढ़ाए जाएंगे।
निःशुल्क ज्योतिष पाठ्यक्रम के लिए अभी ऑनलाइन पंजीकरण करें।
वास्तु शास्त्र के 10 सर्वमान्य नियम -
वास्तु शास्त्र के यह 10 नियम जो आपके जीवन में हमेशा काम आने वाले हैं , निम्नलिखित हैं -
- वास्तु का पहला नियम जमीन से जुड़ा हुआ है । वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनाते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आपके घर का पीछे का हिस्सा, घर के आगे वाले हिस्से से अधिक चौड़ा हो । और सिर्फ चौड़ाई ही नहीं बल्कि ऊँचाई का भी आपको ध्यान रखना है । वास्तु शास्त्र में ऐसा माना गया है कि घर का पिछला हिस्सा , घर के आगे वाले हिस्से से अधिक ऊंचा होने से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है । घर के यह आकार संघर्ष से सफलता की यात्रा का सूचक होता है ।
- वास्तु शास्त्र का दूसरा नियम दुकान से जुड़ा हुआ है । दुकान का आकार बनाते समय इसस बात का ध्यान रखें कि दुकान का आगे का आकार , दुकान के पीछे के आकार से अधिक चौड़ा हो । चौड़ाई की तरह दुकान के आगे के भाग की ऊँचाई भी , दुकान के पिछले भाग से थोड़ी अधिक होनी चाहिए ।
- वास्तु का तीसरा नियम घर या दुकान के मुख्य द्वार से जुड़ा हुआ है । वास्तु के अनुसार घर का या दुकान का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में होना सबसे अधिक शुभ माना गया है ।
- वास्तु का चौथा नियम घर के रसोई घर के लिए है । वास्तु के अनुसार रसोई घर के लिए सबसे शुभ दिशा दक्षिण-पूर्व मानी गई है । इस दिशा को आग्नेय कोण भी कहा जाता है ।
- वास्तु के अनुसार घर के आँगन का आकार टेढ़ा मेढ़ा या तिकोना नहीं होना चाहिए । घर के आँगन को बनवाते समय आकार का विशेष ध्यान रखें अन्यथा जीवन के रास्ते भी टेढ़े मेढ़े हो सकते हैं ।
- वास्तु के अनुसार घर के पूजा स्थल की दिशा पूर्व की ओर होनी चाहिए । सूर्य के उदय होने वाली दिशा आपके घर के मंदिर या पूजा स्थल के लिए सर्वाधिक शुभ मानी गई है।
- वास्तु के अनुसार घर में धन रखने का स्थान सदैव उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए । उत्तर दिशा में धन रखने से आपका धन संचित रहता है और आप निरंतर धनार्जन करते रहते हैं ।
- वास्तु के अनुसार घर में जिस कक्ष में भोजन रखा जाता है , उसका मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए ।
- वास्तु का नौवां नियम घर के बेडरूम या शयनकक्ष से जुड़ा हुआ है । घर का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम दिशा में सबसे शुभ माना गया है ।
- वास्तु के अनुसार आप घर या दुकान या कार्यालय बनवाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इनका फर्श सभी जगह एक समान यानि समतल होना चाहिए । वास्तु के अनुसार ऊँचा-नीचा फर्श दोष का कारण बन सकता है ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से हमने वास्तु शास्त्र के वो 10 नियम जाने जो किसी भी तरह के निर्माण कार्य में सदैव याद रखने चाहिए । इन नियमों का पालन करने से वास्तु दोष से बचा सकता है ।
यह भी पढ़ें:- अपने घर में मंदिर की स्थापना कैसे व किस दिशा में करें ?