कहा जाता है कि कई बार जो होता है वो हमें दिखता नहीं है और जो हमें दिखता है वो होता नहीं है। सुंदर होना और सुंदर दिखना, दोनों अलग अलग बातें हैं। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो सुंदर दिखना , सुंदर होने से आसान काम है। आज के लेख में हम आसान काम को और अधिक आसान बनाने वाले हैं। जब भी हम सुंदरता की बात करते हैं तो हमारे सामने दो चीजें निकल कर आती हैं। पहली हमारी त्वचा और दूसरे हमारे बाल। अगर किसी की त्वचा और बाल पूर्ण रूप से स्वस्थ हों तो वह कम से कम बाह्य सुंदरता तो प्राप्त कर ही लेता है इसलिए आज हम अपनी त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में बताए गए उपायों को जानने वाले हैं।
हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञ के साथ चिकित्सा ज्योतिष समाधान प्राप्त करें, अभी संपर्क करें।
ज्योतिष के वीडियो कोर्स की मदद से अपने घर पर आराम से ज्योतिष सीखें। वैदिक ज्योतिष संस्थान (एस्ट्रोलोक) आपको वास्तु, हस्तरेखा, अंक विज्ञान और चिकित्सा ज्योतिष जैसे सर्वोत्तम ज्योतिष पाठ्यक्रम प्रदान करता है। अभी अपना निःशुल्क ज्योतिष पाठ्यक्रम प्राप्त करें। उन्नत ज्योतिष पाठ्यक्रम के लिए अभी नामांकन करें जो विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल द्वारा पढ़ाया जाता है।
त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने का आयुर्वेदिक उपचार -
- भृंगराज
- गिलोय
- शुद्ध घी
अपनी त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने के लिए हमें लंबे समय तक इनके देखभाल की आवश्यकता है इसलिए प्रकृति की गोद में से चुने गए इन तत्वों का हम लंबे समय तक बिना किसी नुकसान के सेवन कर सकते हैं
भृंगराज को बालों की मजबूती के लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है। बालों का सफेद होना , बालों का कमजोर होना , बालों में रूसी होना ,ये कुछ ऐसी आम समस्याएं हैं जिनका सामना आजकल लगभग हर व्यक्ति कर रहा है। इसका प्रमुख कारण मानसिक तनाव भी है। इस समस्या से बचने के लिए आयुर्वेद में भृंगराज को श्रेष्ठ औषधि बताया गया है। अगर हम गिलोय की बात करें तो आयुर्वेद में इसे भी कई गुणों से युक्त औषधि की संज्ञा दी गई है। गिलोय ऐसी औषधि है जो वात दोष , पित्त दोष व कफ दोष तीनों में समान रूप से कार्य करती है। यहाँ पर हम गिलोय की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसका मुख्य कार्य त्वचा को स्वस्थ रखना भी है। त्वचा संबंधी विकार हमारे पेट से व रक्त संबंधी विकार से उत्पन्न से होते हैं। गिलोय हमारे रक्त संबंधी विकारों को दूर करके त्वचा को स्वस्थ करने का काम करती है। त्वचा संबंधी रोग जैसे कुष्ठ रोग , चर्म रोग आदि में गिलोय का उपयोग लाभप्रद सिद्ध होता है। घी की यह विशेषता होती है कि वह स्वयं तो लाभप्रद होता ही है और दूसरों के साथ मिल कर उनके लाभ में कई गुण बढ़ोत्तरी कर देता है । इसलिए शुद्ध घी को भृंगराज में या गिलोय में मिला कर उपयोग करने से, दोनों ही अधिक लाभ प्रदान करेंगे।
यह भी पढ़ें:- मानसिक रोग के कारण व समाधान !
तीनों पदार्थों का उपयोग कैसे करें ?
यह भी पढ़ें:- सभी रोगों में काम आने वाले औषधीय पौधे के बारे में जानिए !