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आयुर्वेद के अनुसार अपनी त्वचा व बालों को ऐसे स्वस्थ रखें !

Created by Asttrolok in Astrology 30 Aug 2023
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आयुर्वेद के अनुसार अपनी त्वचा व बालों को ऐसे स्वस्थ रखें !

कहा जाता है कि कई बार जो होता है वो हमें दिखता नहीं है और जो हमें दिखता है वो होता नहीं है। सुंदर होना और सुंदर दिखना, दोनों अलग अलग बातें हैं। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो सुंदर दिखना , सुंदर होने से आसान काम है। आज के लेख में हम आसान काम को और अधिक आसान बनाने वाले हैं। जब भी हम सुंदरता की बात करते हैं तो हमारे सामने दो चीजें निकल कर आती हैं। पहली हमारी त्वचा और दूसरे हमारे बाल। अगर किसी की त्वचा और बाल पूर्ण रूप से स्वस्थ हों तो वह कम से कम बाह्य सुंदरता तो प्राप्त कर ही लेता है इसलिए आज हम अपनी त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में बताए गए उपायों को जानने वाले हैं। 

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त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने का आयुर्वेदिक उपचार -


आयुर्वेद में शरीर की हर व्याधि के लिए प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं । अन्य उपायों के तरह ही आयुर्वेद में त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने के लिए तीन महत्वपूर्ण पदार्थ बताए गए हैं , जो निम्नलिखित हैं -

- भृंगराज

- गिलोय

- शुद्ध घी

अपनी त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने के लिए हमें लंबे समय तक इनके देखभाल की आवश्यकता है इसलिए प्रकृति की गोद में से चुने गए इन तत्वों का हम लंबे समय तक बिना किसी नुकसान के सेवन कर सकते हैं

भृंगराज को बालों की मजबूती के लिए बहुत लाभप्रद माना जाता है। बालों का सफेद होना , बालों का कमजोर होना , बालों में रूसी होना ,ये कुछ ऐसी आम समस्याएं हैं जिनका सामना आजकल लगभग हर व्यक्ति कर रहा है। इसका प्रमुख कारण मानसिक तनाव भी है। इस समस्या से बचने के लिए आयुर्वेद में भृंगराज को श्रेष्ठ औषधि बताया गया है। अगर हम गिलोय की बात करें तो आयुर्वेद में इसे भी कई गुणों से युक्त औषधि की संज्ञा दी गई है। गिलोय ऐसी औषधि है जो वात दोष , पित्त दोष व कफ दोष तीनों में समान रूप से कार्य करती है। यहाँ पर हम गिलोय की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसका मुख्य कार्य त्वचा को स्वस्थ रखना भी है। त्वचा संबंधी विकार हमारे पेट से व रक्त संबंधी विकार से उत्पन्न से होते हैं। गिलोय हमारे रक्त संबंधी विकारों को दूर करके त्वचा को स्वस्थ करने का काम करती है। त्वचा संबंधी रोग जैसे कुष्ठ रोग , चर्म रोग आदि में गिलोय का उपयोग लाभप्रद सिद्ध होता है। घी की यह विशेषता होती है कि वह स्वयं तो लाभप्रद होता ही है और दूसरों के साथ मिल कर उनके लाभ में कई गुण बढ़ोत्तरी कर देता है । इसलिए शुद्ध घी को भृंगराज में या गिलोय में मिला कर उपयोग करने से, दोनों ही अधिक लाभ प्रदान करेंगे।


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तीनों पदार्थों का उपयोग कैसे करें ?


इन पदार्थों का सेवन कब करना है और कितनी मात्रा में करना है , इसको सावधानी से समझने की आवश्यकता है । सबसे पहले श्रेष्ठ समय जान लेते हैं। भोजन के बाद इनका सेवन करने से सबसे अधिक व सबसे श्रेष्ठ लाभ प्राप्त होता है । अगर मात्रा की बात की जाए तो दो ग्राम भृंगराज चूर्ण , दो ग्राम गिलोय व एक चम्मच शुद्ध घी को मिलाकर खाने से त्वचा व बाल , दोनों को भरपूर पोषक तत्व मिलेंगे।


निष्कर्ष -

त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद में भृंगराज , गिलोय व शुद्ध घी को प्रमुख औषधि बताया गया है। अगर आप दोपहर व रात के भोजन के बाद भृंगराज व गिलोय के चूर्ण का घी में मिला कर सेवन करते हैं तो निश्चित रूप से आपको अपनी त्वचा व बालों में प्रभावी बदलाव देखने को मिलेगा।

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