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ज्योतिष विज्ञान एक महाविज्ञान हैं जिसमे सिर्फ व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य के बारे में ही नही बल्कि पेड़ पौधों, वनस्पति और खेती के बारे में भी बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा का असर वनस्पति पर भी दिखाई देता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार यदि फसले या फल जो मिटटी के अन्दर पैदा होते हैं जैसे शकरकंद, आलू, जमीकंद आदि, कृष्ण पक्ष में बोई जाए तो उसे इसकी ज्यादा फसल प्राप्त होगी। इसके विपरीत यदि किसान शुक्ल पक्ष में बीज बोते हैं तो उन्हें उसकी कम पैदावार प्राप्त होती है।
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ज्योतिष के अनुसार जो फसले धरती की ऊपर यानी मिटटी के ऊपर उगती हैं जैसे चना, गेहूं, धान, मटर, ईख आदि यदि शुल्क पक्ष में बोई जाए तो उससे होने वाले उपज बहुत ज्यादा होती है। ऐसा माना जाता है की फसलो को यदि अलग अलग पक्ष के आधार पर मिटटी, खाद और पानी दिया जाए तो उत्पादन ज्यादा होता है।
ज्योतिष शास्त्र अनुसार यदि किसान मृगशिरा नक्षत्र में बुवाई करते हैं तो धरती में सोना उगने लगता है अर्थात बहुत बहुत अच्छी फसल होती है। इस नक्षत्र में किसान कही खरीफ की फसल उगाते हैं और कही मृगशिरा नक्षत्र में ज्वार, बाजरा, ग्वार, मूंग और तिल आदि की बुवाई शुरू कर दी जाती है।
ग्रहों की चाल का बहुत असर इंसानों के साथ साथ फसलो पर भी होता है। किसानो के लिए सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायण होना पौधों और फसलो के लिए बहुत जरुरी होता है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और फसलो के सम्बन्ध को बायोडायनमिक सिद्धांत कहा जाता है। सभी किसान इस सिद्धांत का पालन करते हैं और उसकी अनुसार खेती करते हैं।
बायोडायनमिक सिद्धांत की रिसर्च के मुताबिक पृथ्वी के चक्कर लगाने में चंद्रमा को 29।5 दिन लगभग लग जाते हैं और इन दिनों में वो सभी 12 राशियों से होकर जाता है। ये एक राशि में कम से कम 2।5 दिन दिन रुकता है। इतने दिन पूरे करते ही दूसरी राशि में चला जाता है। इन राशियों का जल, भूमि, वायु पर प्रभाव होता है। इसी कारण इसका असर पत्ती, जड, फल फूल आदि पर भी पड़ता है।
चंद्रमा की स्पीड का बायोडायनमिक उत्प्रेरकों को बनाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। इस उपाय के चलते गाय की सींग से एक ख़ास तरह की खाद बनाई जाती है। इसे बनाने के लिए चंद्रमा की चाल के अनुसार जमीन में एक गड्ढा खोदा जाता है जिसमे ताजा गोबर और गाय के सींग डाले जाते हैं। इस तरह तैयार की जाने वाले उत्प्रेरकों को कीटनाशक और खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।
ज्योतिष के जानकार क्या कहते हैं
सुधीर शुक्ला, अध्यक्ष, इंडियन पोटैटो ग्रोवर एक्सपोर्ट सोसाइटी के अनुसार ग्रहों का फसल पर बहुत प्रभाव होता है। उनके अनुसार कृषि पंचांग का इस्तेमाल किसान आज से नही बल्कि कई सालो से करते आ रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार हर महीने शनि, चंद्रमा एक बार या कई बार एक दूसरे से बहुत दुरी या कोई सम्बन्ध नहीं होता हैं । ऐसे में ये समय हर तरह की खेती के लिए उपयुक्त समय होता है। इसी तरह हर महीने चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ दो बार सूर्य के रास्ते से होकर जाता है, ज्योतिष शास्त्र अनुसार ये समय खेती के लिए सही नही होता है।
राशि अनुसार खेती और उपाय
- ज्योतिष अनुसार जिन किसानो की राशि कन्या है और स्वामी बुद्ध ग्रह है, ऐसे किसान जब भी बुवाई करे उस समय अपने कुल देवता या गणेश जी की पूजा जरुर करे और उन्हें दूर्वा चढ़ाए।
- जिनकी राशि मेष है और स्वामी मंगल है, उन्हें पहले खेत की पूजा करनी चाहिए और फिर बुवाई।
- जिनकी राशि वृष और स्वामी शुक्र ग्रह है, उन किसान को बुवाई शुक्रवार को करनी चाहिए। बुवाई से पहले खेत का चीनी, चावल और दही से पूजन करना चाहिए।
- जिनकी राशि मिथुन है और स्वामी बुध ग्रह है उन किसानो को पहले अपने फाफड़े पर मूठ और हल पर हरी मूंग बांधनी चाहिए और फिर बुवाई शुरू करनी चाहिए।
- जिनकी राशि कर्क है और स्वामी चंद्रमा उन्हें खेती करने से पहले खेत की पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए पहले गंगा जल और दूध को मिलाकर और फिर उससे पूजा करनी चाहिए।
- जिनकी राशि सिंह है और स्वामी सूर्य,इस राशि के किसानो को हमेशा ब्रह्म बेला में बुवाई का काम शुरू कर देना चाहिए। इन्हें सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करना चाहिए।
- जिनकी राशि वृश्चिक है और स्वामी मंगल उन्हें खेती करते वक्त लाल रंग के कपडे पहनने चाहिए और गुड, मसूर और सिन्दूर से खेत की पूजा करनी चाहिए।
- जिनकी राशि धनु है और स्वामी गुरु उन्हें पहले केले की पूजा करनी चाहिए और फिर खेती शुरू करनी चाहिए।
- जिनकी राशि मकर है और स्वामी शनि उन्हें पहले खेत में कोयले को दबा देना चाहिए और फिर बुवाई शुरू करनी चाहिए।
- जिनकी राशि कुम्भ है और स्वामी शनि है उन्हें शनिवार को अपने खेत में बुवाई करनी चाहिए।
- जिनकी राशि मीन है और स्वामी गुरु उन्हें पहले विष्णु जी की पूजा चन्दन और हल्दी का तिलक लगाके करनी चाहिए और फिर खेती करनी शुरू करनी चाहिए।
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