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घर की बैठक हमारे घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है । हमें अपने यार-दोस्त से गप्पे लड़ानी हों, घर आए मेहमान की मेहमाननवाजी करनी हो या फिर अपने कार्यक्षेत्र से जुड़ी हुई कोई जरूरी बातचीत करनी हो, इन सबके लिए घर की बैठक काम आती है । लेकिन क्या आपको पता है कि घर की बैठक का वास्तु यह तय करता है कि बैठक में होने वाली बातचीत कैसी रहने वाली है ? जिस विषय को लेकर बात चल रही है वो सुलझ जाएगा या फिर और ज्यादा उलझ जाएगा ?
इस लेख में हम जानेंगे कि बैठक की दिशा के बारे में वास्तु शास्त्र क्या कहता है ? इसके अलावा यह भी जानेंगे कि वास्तु शास्त्र में सभी दिशाओं का क्या फल बताया गया है ?साथ ही वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की बैठक के लिए सर्वाधिक शुभ दिशा कौन सी है?
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बैठक का महत्व -
घर की बैठक को घर का हृदय कहा जाता है । सामान्यतः ऐसा होता है कि कोई आपसे घर की बैठक में मिलने आता है और वहीं से वापस चला जाता है। वह आपका पूरा घर नहीं देखता किन्तु घर की बैठक से वो अनुमान लगा लेता है कि इस घर का वातावरण कैसा है ? अगर आपकी बैठक वास्तु सम्मत बनी है तो निश्चित ही सामने वाले व्यक्ति के ऊपर बहुत सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है । इसके ठीक विपरीत अगर बैठक में वास्तु दोष है तो अगले व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । साथ ही उस बैठक में होने वाले विचार-विमर्श का भी कोई सार्थक हल नहीं निकल पाता है ।
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घर की बैठक के लिए सबसे शुभ दिशा -
वास्तु शास्त्र में बताई गई दिशा को ध्यान में रख कर बनाई गई बैठक ना केवल आगंतुकों के ऊपर सकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि उसमें होने वाले सभी तरह के विचार-विमर्श का सार्थक हल भी अवश्य निकलता है । वास्तु शास्त्र में घर की बैठक के लिए जो दिशा सबसे शुभ बताई गई है, वह उत्तर दिशा है । उत्तर दिशा में बनी बैठक संवाद स्थापित करने के लिए सबसे शुभ स्थान होता है ।
वास्तुशास्त्र के अनुसार सभी दिशाओं का फल -
पूर्व दिशा में बनी बैठक का फल -
बैठक कक्ष का मुख पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना गया है । इस दिशा में बनी बैठक आपसी विश्वास में वृद्धि करती है । इसके साथ ही इसमें बैठ कर किया गया वार्तालाप दोनों पक्षों के लिए उत्तम सिद्ध होता है ।
पश्चिम दिशा में बनी बैठक का फल -
पश्चिम दिशा में बनी बैठक बहुत शुभ नहीं मानी गई है । ऐसी बैठक में ऊर्जा व उत्साह की कमी होती है जिससे बातचीत में नीरसता आ जाती है ।
उत्तर दिशा में बनी बैठक का फल -
उत्तर दिशा में बनी बैठक को सबसे शुभ बताया गया है । इसमें होने वाले सभी वार्तालाप शांतिपूर्वक सम्पन्न होते हैं व उनका श्रेष्ठ हाल निकलता है ।
दक्षिण दिशा में बनी बैठक का फल -
दक्षिण दिशा की ओर बैठक का मुख बेहद अशुभ माना जाता है । इस बैठक में बैठकर किये गए वार्तालाप से आपस में मतभेद व वैमनस्य बढ़ता है ।
आग्नेय दिशा में बनी बैठक का फल-
आग्नेय दिशा यानि दक्षिण-पूर्व दिशा में बनी बैठक समय बर्बाद कराती है । इसमें होने वाले वार्तालापों का कोई हल नहीं निकलता है ।
नैऋत्य दिशा में बनी बैठक का फल -
नैऋत्य यानि दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनी हुई बैठक वैचारिक दृष्टि से कमजोर मानी जाती है ।
वायव्य दिशा में बनी बैठक का फल -
वायव्य यानि उत्तर-पश्चिम दिशा में बनी बैठक में वार्तालाप करने से स्पष्टता कमी आ जाती है ,जिसके चलते भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है ।
ईशान दिशा में बनी बैठक का फल-
ईशान यानि उत्तर-पूर्व दिशा में बनी बैठक को वास्तु शास्त्र में उत्तम माना गया है ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से हमने जाना कि वास्तुशास्त्र में बैठक के लिए उत्तर दिशा सर्वाधिक शुभ मानी जाती है । इसके अलावा पूर्व दिशा व उत्तर-पूर्व दिशा भी वार्तालाप के लिए उत्तम मानी गई है ।
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