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जिस प्रकार हर कार्य के होने के पीछे कोई ना कोई कारण होता है, ठीक उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में हर कार्य के होने के पीछे कोई ना कोई कारक ग्रह होते हैं।
अब यदि हम शिक्षा के बारे में बात करें तो बच्चे के जन्म के साथ ही उसकी शिक्षा व उच्च शिक्षा के बारे में हर माता-पिता चिंतित होते हैं।
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वैसे तो हमारे सौरमंडल में नौ ग्रह होते हैं, लेकिन शिक्षा के लिए कारक ग्रह बुध एवं गुरु ग्रह हैं।
बुध ग्रह से हम बुद्धि देखते हैं तथा गुरु ग्रह से ज्ञान देखते हैं।
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तो इस प्रकार किसी बच्चे की कुंडली में यदि बुध व गुरु ग्रह का उच्च या मित्र राशि, स्वराशि, केंद्र, त्रिकोण में होना यह बताता है कि बच्चे को उच्च शिक्षा प्राप्त होगी।
और इसी के विपरीत यदि यह दोनों ग्रह शत्रु राशि, नीच राशि या 6 8, 12 के भाव में होते हैं या किसी भी प्रकार से पीड़ित होते हैं तो यह बताता है कि बच्चे को उच्च शिक्षा प्राप्ति में रुकावट या अड़चनें आ सकती हैं।
तथा कभी-कभी यह भी देखा गया है कि बुध या गुरु ग्रह में से कोई भी एक ग्रह अच्छी स्थिति में है तथा एक ग्रह अच्छी स्थिति में नहीं है तो ऐसे समय पर उचित मार्गदर्शन लेकर हम जातक की शिक्षा के बारे में आने वाली रुकावट को कम कर सकते हैं। तथा सही समय पर अच्छे ज्योतिष से मार्गदर्शन लेकर अपने भविष्य को संवारा जा सकता है।
तो गुरु ग्रह का और बुध ग्रह का हमारे जीवन में शिक्षा में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है तथा उसको अच्छे से देख कर चिंतन करके आगे विचार करना चाहिए।
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