सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी सन् 1952 को अंबाला में हुआ था । उस समय सुषमा स्वराज की जन्म कुंडली में धनु लग्न और कन्या थी । जन्म के समय सुषमा स्वराज के भाग्य भाव के स्वामी सूर्य की महादशा चल रही थी । सूर्य धनु लग्न के लिए पूर्ण राजयोग कारक ग्रह है इसी कारण सुषमा स्वराज पराक्रमी , प्रतापी और तेजस्वी महिला थी । सूर्य तृतीय भाव कुंभ राशि में स्थित है । जिसके कारण जीवन में कष्टो और दुखो को सहन करते हुए आगे बड़ने की प्रेणना मिली । यदि सुषमा स्वराज की कुंडली में चन्द्रमा को देखे तो चंद्रमा अष्टम भाव अर्थात मृत्यु के भाव का स्वामी बन शनि के साथ दशम भाव में स्थित है और चंद्रमा धनु लग्न के लिए पापी ग्रह और अशुभ फल देने वाला है।
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सुषमा स्वराज की कुंडली में कोनसा ऐसा ग्रह है जो की फर्श से अर्श तक पहुंचाया और एक अच्छा वक्ता बनाया और समाज सेवी बनाया और राजनेतिक में बड़े पद पर पहुंचाया । सुषमा स्वराज की कुंडली धनु लग्न है और उसका स्वामी गुरु जब लग्नेश गुरु हो और गुरु इनकी कुंडली में चतुर्थ भाव में स्थित है तो गुरु अष्टम और दशम भाव को देख रहा है और व्यय भाव को देख रहा है । लग्नेश केंद्र में हो तो ऐसे लोग बहुत बुद्धिमान होते है और सहनशील होते हैं और सुषमा स्वराज की कुंडली में द्वितीय भाव में सातवे और दसवे भाव का मालिक बुध दुसरे भाव में स्थित है । द्वितीय भाव विधा वाणी का भाव माना जाता है । जिसका भी दुसरे भाव में बुध हो तो बुध वाणी का देवता मानते हैं । वाणी का कारक बुध होता है । ऐसे लोग बहुत अच्छा भाषण देते हैं , बहुत ही अच्छी बात करते है और दशमेश बुध हो तो व्यक्ति अधिवक्ता के क्षेत्र में भी अच्छा कार्य करता है । सूर्य राहु तीसरे भाव में राहु अगर तीन, छः , ग्यारवे में हो तो व्यक्ति प्रक्रमी होता है पुराषार्थी होता है सेल्फ मेड होता है जो भी काम करता है अपनी मेहनत के द्वारा आगे बढ़ता है । इनकी कुंडली में चन्द्रमा और शनि दसवें भाव में चन्द्रमा दसवें भाव में और गुरु चौथे भाव में गजकेसरी योग बन रहा है । और ग्यारवे में मंगल है तो ग्यारवे में मंगल क्या करता है कि व्यक्ति को राजनीतिक क्षमता को बढ़ाता है और इसी लिए विदेश मंत्रालय मिला ।
सूर्य भाग्येश है किंतु राहु के साथ शनि की राशि कुंभ में बैठा है राहु के साथ सूर्य का होना पितृदोष का कारक होता है और सूर्य का बल भी कम हो जाता है । हालंकि शनि राजयोग दे रहा है ।
किंतु स्वास्थ के लिए उत्तम नही है । शनि के कारण सुषमा स्वराज जी विदेश मंत्री बनी । शनि की महादशा में द्वादश भाव मंगल की अंतर्दशा और चंद्रमा की प्रत्यंतर दशा से आने से ह्रदय को आघात पहुंचाने का योग बनता है । क्योंकि चंद्रमा शनि से डर का भाव रखता है और डर मनुष्य के लिए दिल की उपज होती है । इसी कारण जब शनि ग्रह की महादशा में चंद्रमा की प्रत्यंतर दशा चल रही थी और चन्द्रमा में मार्केश बुध की सुक्ष्म दशा और फिर बुध जो की दूसरे मारक भाव द्वितीय भाव में स्थित है ।
एस्ट्रोलाजर - ममता अरोरा
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