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आयुर्वेद अनुसार हमारी बॉडी में तीन तरह के दोष होते हैं वात दोष, पित्त दोष, कफ दोष। अगर इन दोषों का संतुलन बिगड़ जाता है तो व्यक्ति बीमार पड़ जाता है। स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति के तीनो दोषों का संतुलन बने रहना बहुत जरुरी है। कफ व्यक्ति के ऊपर के भाग में होता है, पित्त व्यक्ति के मध्य भाग में और बात व्यक्ति के नीचे के भाग में।
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वात दोष क्या है
आकाश और वायु तत्व से मिलकर वात दोष बना है। ये बहुत महत्वपूर्ण दोष है। हमारी बॉडी में गति से जुडी जो भी प्रक्रिया होती है वो वात दोष से ही होती है। ये आंत और पेट में होता है।
वात बढ़ने के कारण
- खराब खान पान के कारण।
- छींक और मल-मूत्र रोकना।
- पहले का खाना पचने से पहले फिर से खा लेना।
- तेल बोलने और रात को देर से सोने के कारण।
- हद से ज्यादा मेहनत करने के कारण।
- गाडी चलाते वक्त तेज झटके लगना।
- कडवी और तेज तीखी चीजों का ज्यादा सेवन करने के कारण।
- ड्राई फ्रूट्स अधिक खाने के कारण।
- हमेशा चिंता करना।
- अधिक सेक्स करना।
- बहुत ज्यादा ठंडी चीजो का सेवन करना।
- उपवास रखना।
वात बढ़ जाने के लक्षण
- बॉडी पार्ट्स में जकडन और रूखापन होना।
- सुई जैसा चुभता दर्द होना।
- हड्डी टूटना या खिसकना।
- हड्डियों की सभी जोड़ो में ढीलापन आ जाना।
- अंगो में कपकपी और कमजोरी लगना।
- अंगो का सुन्न हो जाना।
- कब्ज होना।
- मुंह का कडवा होना।
वात दोष वाले क्या न खाएं
- ब्राउन राइस, जौ, बाजरा और मक्का न खाएं।
- फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली आदि न खाएं।
- ब्लैक टी, कोल्ड कॉफ़ी, फ्रूट जूस सर्दी में न पिएं।
- केला और नाशपाती न खाएं।
वात दोष को संतुलन में लाने के उपाय
- तेल, घी और फैट वाले चीजे खाएं।
- अदरक, तिल, लहसुन,गेंहूं, गुड़ से बनी चीजे खाएं।
- मक्खन, छाछ, पनीर और गाय का दूध पिए।
- ड्राई फ्रूट्स को घी में तलकर खाएं।
- कद्दू के बीज, बादाम, सूरजमुखी और तिल के बीज भिगोकर खा लें।
- खीर, शकरकंद, चुकंदर, गाजर, पालक आदि खाएं।
- राजमा , मूंग दाल और सोया दूध का सेवन करे।
- एक निश्चित रूटीन बना लें।
- कुछ देर सुबह की धूप में टहलें।
- रोज योग करे।
- रोज गुनगुने तेल से मसाज करे।
- सूरज ढलने से कम से कम 40 मिनट पहले भोजन करे।
- सोने से पहले दूध, गुड या त्रिफला चूर्ण लेकर वात दोष ठीक किया जा सकता है।
- फल जैसे नीम्बू, अंगूर, मौसमी, संतरा जैसे फल का जूस पिए।
- थोड़ी सी अजवाइन रो आधा चम्मच मेथीदाना रोज खाए।
- गाय के घी का सेवन करे।
पित्त दोष क्या होता है
जल और अग्नि तत्व से मिलकर बना है पित्त दोष। ये एंजाइम और हॉर्मोन को कण्ट्रोल करता है। बॉडी का टेम्परेचर और पाचक अग्नि यही कण्ट्रोल करता है। अच्छी सेहत के लिए पित्त दोष का संतुलन में होना जरुरी है।
पित्त दोष में असंतुलन के कारण
- सर्दी के बढ़ जाने के कारण।
- नमकीन और तीखे खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने के कारण।
- बहुत ज्यादा मेंटल स्ट्रेस।
- बहुत ज्यादा मेहनत करने के कारण।
- हमेशा गुस्से में रहना।
- अधिक शराब पीना।
- समय पर न खाना।
- अधिक सेक्स करना।
- छाछ, सरसों, तिल का तेल आदि का सेवन।
- बकरी और भेड़ का मांस खाना और अधिक मछली खाना।
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पित्त बढ़ जाने के लक्षण
- नींद कम आना।
- ज्यादा थकावट होना।
- ज्यादा पसीना आना।
- स्किन का कलर डार्क होना ।
- बॉडी से बदबू आना।
- गला और मुंह पकना।
- बहुत क्रोध आना।
- चक्कर आना और बेहोशी होना।
- मुंह का स्वाद कड़वा होना।
- ज्यादा ठंडी चीजे खाना पसंद करना।
- नाख़ून, मल मूत्र, स्किन और आँखों का पीला होना।
पित दोष वाले क्या न खाए
- काली मिर्च, मूली और कच्चे टमाटर न खाए।
- सरसों के तेल और तिल का तेल इस्तेमाल न करे।
- मूंगफली, काजू, अखरोट, पिस्ता, बिना छिले हुए बादाम न खाएं।
- टमाटर और संतरे जा जूस न पिए।
- शराब और कॉफ़ी का सेवन न करे।
पित दोष को संतुलित करने के उपाय
- जीवन शैली सुधारे।
- पेट साफ़ रखे।
- घी का सेवन करे।
- खीर, गोभी, आलू, गाजर, हरी पत्ते वाली सब्जी और शिमला मिर्च खाए।
- दालों का सेवन करे।
- अंकुरित अनाज, एलोवेरा जूस,दलीय और सलाद खाए।
- बॉडी की मसाज ठन्डे तेल से करे।
- रोज कुछ देर छाया में चक्कर काटे।
- तैराकी करें।
- रोज स्नान करे।
कफ दोष क्या है?
जल और पृथ्वी से मिलकर कफ दोष बनता है। ये दोष व्यक्ति की इम्युनिटी क्षमता को बढाता है और साथ ही शरीर को मजबूत भी बनाता है। ये पेट और छाती में होता है।
कफ बढ़ने के कारण
- मार्च और अप्रैल माह में छोटो बच्चों को सुबह के खाने के बाद कफ बढ़ता है।
- स्वभाव के कारण।
- गलत खान पान।
- चिकने, खट्टे और मीठी चीजे ज्यादा खाना ।
- मांस-मछली का ज्यादा सेवन करना।
- तिल से बनी चीजो का सेवन।
- दूध, गन्ना और अधिक नमक का सेवन।
- बहुत ठंडा पानी पीना
- योग न करना।
- आलसी होना।
कफ दोष बढ़ने के लक्षण
- सुस्ती चढ़ना।
- बार बार नींद आना।
- बॉडी में भारीपन लगना।
- पसीने और मल-मूत्र में चिपचिपापन होना।
- बॉडी पीली सी लगना।
- ऐसा लगना जैसे बॉडी में कोई लेप लगा हो।
- नका और आँखों में गंदगी आना।
- खांसी और साँस लेने में तकलीफ होना।
- डिप्रेशन होना।
कफ प्रकृति वाले क्या न खाए
- मैदे से बनी चीजे न खाए।
- खीर, टमाटर, एवोकैड़ो और शकरकंद न खाएं।
- खजूर, केला, आम, अंजीर, तरबूज आदि न खाएं।
बिगड़े कफ दोष को संतुलित करने के उपाय
- जीवनशैली और खानपान सुधारे।
- गेंहूं, मक्का, राई, बाजरा, ब्राउन राइस का सेवन करे।
- पालक, ब्रोकली, पत्तागोभी, शिमला मिर्च, हरी सेम फली, मटर, शिमला मिर्च, मुली, आलू और चुकंदर का सेवन करे।
- सरसों के तेल और जैतून के तेल का प्रयोग करे।
- गर्म और तीखे चीजे खाए।
- पनीर और छाछ का सेवन करे।
- कम नमक खाएं।
- दालों का सेवन करे।
- बॉडी मसाज करे।
- गुनगुने पानी से रोज नहाएं।
- धुप में कुछ देर जरुर टहलें।
- योग करे।
- गर्म कपड़े पहने।
- ज्यादा चिंता न करे।
- ज्यादा चिंता न करे।
- ज्यादा देर आराम न करे।
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