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हमारा शरीर हमारे जीवन के लिए अमूल्य है । जो लोग अपने शरीर के बारे सब कुछ जानते हैं और उसी के अनुसार अपने शरीर की देखभाल करते हैं उनका शरीर भी उनका बखूबी साथ निभाता है । किन्तु इसके लिए हमें अपने शरीर को पूरी तरह से जानना समझना होगा व उसकी जरूरतों का विशेष ध्यान रखना होगा । आयुर्वेद में मानव शरीर के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। आज हम आयुर्वेद के अनुसार जानेंगे कि हमारा शरीर किस प्रकार का है व शरीर के प्रकार के हिसाब से उसकी देखभाल कैसे करनी चाहिए ।
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आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर तीन प्रकार का होता है -
- वात
- पित्त
- कफ
हमारा शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रकार का होता है व उसके अनुसार ही संचालित होता है । हम से बहुत सारे लोग यह नहीं जानते हैं कि उनका अपना शरीर इन तीनों में से किस प्रकार का है । वात ,पित्त और कफ को जानने से पहले हमारे लिए पंचतत्व को जानना आवश्यक है । जैसा कि हम अपने अन्य लेख में बात कर चुके हैं कि हमारे शरीर को चलाने में पाँच तत्वों का योगदान है और वो पाँच तत्व हैं -
- अग्नि तत्व
- जल तत्व
- भूमि तत्व
- वायु तत्व
- आकाश तत्व
इन पांचों तत्वों के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारा शरीर के पंचतत्वों पर लिखा गया लेख पढ़ सकते हैं । अभी हम क्रम से वात ,पित्त व कफ के बारे में जानेंगे ।
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वात प्रकार का शरीर -
पाँच तत्वों में से 2 तत्वों वायु तत्व व आकाश तत्व के योग से वात बनता है। शरीर पर रूखापन व खुरदुरापन वात की प्रमुख पहचान है । इसके अलावा ऐसे लोगों का शरीर बहुत सक्रिय रहता है और इनकी नींद भी हल्की होती है यानि जरा से शोर से इनकी नींद टूट जाती है ।
वात प्रकृति के लोगों को रूखेपन के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं आती हैं । शारीरिक दुर्बलता या कम नींद आना भी वात में होता है । ऐसे लोग बहुत भावुक होते हैं यानि उन्हे बहुत जल्दी क्रोध आ जाता है और जल्दी से भूल भी जाते हैं । वायु तत्व के प्रभाव इनके मन पर भी पड़ता है इसलिए इनका ध्यान एक जगह एकाग्र ना होकर वायु की तरह इधर उधर भटकता रहता है । हालांकि ये लोग बहुत रचनात्मक और वैचारिक दृष्टि से समृद्ध होते हैं ।
पित्त प्रकार का शरीर -
पित्त शरीर अग्नि तत्व व जल तत्व के योग से बना होता है । अग्नि व जल की तरह ही ऐसे लोग अपनी प्रवृत्ति में विरोधाभाषी होते हैं । अग्नि तत्व के प्रभाव से ऐसे लोगों को गुस्सा बहुत जल्दी आता है किन्तु जल तत्व के होने से उतनी ही जल्दी शांत भी हो जाता है । इनकी बालों की समस्या अवश्य होती है जैसे बाल झड़ना या बाल सफेद होना । बहुत अधिक भूख लगना भी पित्त की पहचान होती है । ऐसे लोगों में नेत्रत्व क्षमता है और समाज में अपने कार्यों से पहचान बनाने में सफल होते हैं ।
कफ प्रकार का शरीर -
भूमि तत्व और जल तत्व के योग से कफ बनता है । भूमि तत्व होने के कारण ऐसे लोगों का शरीर भारी होता है और बहुत जल्दी वजन बढ़ जाता है । ये लोग काफी गहरी नींद में सोते हैं और देर तक सोना पसंद करते हैं । चिकनाई के कारण प्रायः ऐसे लोगों का रंग साफ होता है । शरीर के तीनों प्रकारों में ये लोग सबसे ज्यादा आलसी होते हैं ।
निष्कर्ष -
इस प्रकार से हमने मानव शरीर के तीन प्रकार वात ,पित्त व कफ के बारे में समझा । इसके आधार पर आप पता लगा सकते हैं कि आपका शरीर किस प्रकार का है । आयुर्वेद के अनुसार सबसे आदर्श वो शरीर होता है जिसमें वात ,पित्त व कफ तीनों के गुण समान अनुपात में पाए जाते हैं ।
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