INR (₹)
India Rupee
$
United States Dollar

रुद्राक्ष पहनने से पहले किन बातो का रखे ध्यान?

Created by Asttrolok in Astrology 30 Aug 2023
Share
Views: 246
रुद्राक्ष पहनने से पहले किन बातो का रखे ध्यान?
भोलेनाथ को रुद्राक्ष बहुत प्रिय है। शास्त्रों अनुसार जो लोग रुद्राक्ष पहनते हैं उन्हें शिवजी का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार रुद्राक्ष शिवजी के आंसू हैं। हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष पहनना शुभ माना जाता है। ये सिर्फ धार्मिक रूप से नही बल्कि स्वास्थ रूप से भी लाभकारी है। दिल से जुडी बीमारियाँ, हाई ब्लड प्रेशर आदि में रुद्राक्ष पहनने से आराम मिलता है। रुद्राक्ष कुल 21 मुखी तक के होते हैं। सभी रुद्राक्ष की अलग पहचान और महत्व है। जो इसे धारण करता है उसके जीवन में खुशहाली आती है और उसके जीवन में आ रही मुश्किलें कम होने लगती हैं क्योकि रुद्राक्ष में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने या रोकने का अद्भुत गुण है। रुद्राक्ष पहना जा सकता है लेकिन इसे पहनने के कुछ नियम हैं जिसका पालन करना बेहद जरूरी है।

क्या आप ऑनलाइन सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी की तलाश कर रहे हैं? हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषी द्वारा ज्योतिष परामर्श के लिए अभी संपर्क करें।

रुद्राक्ष पहनने के नियम



  • एक बात का खास ध्यान रखे। रुद्राक्ष को काले धागे में पिरोकर नही पहना जाता। इसे पीले या लाल रंग के धागे में पिरोकर पहना जाता है।

  • जब भी रुद्राक्ष पहने आपके हाथ साफ़ और शुद्ध होने चाहिए। सुबह नित्य क्रिया करने के बाद स्नान करके साफ़ और शुद्ध हाथ से रुद्राक्ष धारण करे।

  • रुद्राक्ष पहनने के समय भोनेलाथ के मन्त्र ॐ नम: शिवाय का जप जरुर करे।

  • आपको मिले रुद्राक्ष को कभी भी दूसरे को पहनने के लिए नही देना चाहिए।

  • जब आप रुद्राक्ष की माला बनवाकर पहनकर रहे हैं तो एक बात का खास ध्यान रखे, माला में रुद्राक्ष की संख्या विषम ही होनी चाहिए।

  • किसी भी माला में कम से कम 27 रुद्राक्ष मनके होने ही चाहिए।

  • रुद्राक्ष को सिर्फ लाल या पीले धागे में ही नही बल्कि सोने और चांदी में भी जड़वाकर पहना जा सकता है।

  • जो भी रुद्राक्ष धारण करना है उसे मांस मदिरा और नशीली चीजो से दूर रहना चाहिए।

  • रुद्राक्ष को लाने के बाद पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए और उसकी नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए।

  • जितनी पवित्र तुलसी की माला होती है उतनी ही पवित्र रुद्राक्ष की माला होती है। अत: जब भी इसे धारण करे मांस मदिरा से दूर रहे और साफ़ और शुद्ध रहे।

  • महिलाएं यदि रुद्राक्ष धारण करना चाहती हैं तो ध्यान रखे कि मासिक धर्म के दौरान रुदार्क्ष धारण नही करना चाहिए। 

  • एक बार अगर आपने रुद्राक्ष की माला को धारण कर लिया है तो वो आप किसी और को दे। इसे सही नही माना जाता है। रुद्राक्ष जितने बार हो सके साफ़ करे। यदि जिस धागे में रुद्राक्ष पिरोए हैं वो टूट गया है तो धागा बदल लें और रुद्राक्ष की माला को गंगाजल से साफ़ करके। ध्यान रहे रुद्राक्ष की पवित्रता बनाए रखे।

  • रुद्राक्ष गर्म होते हैं। हो सकता इसके कारण किसी को एलर्जी हो। यदि आपको एलर्जी हो रही है तो उतार कर पूजा घर में रखे।


रुद्राक्ष के प्रकार


शास्त्रों के अनुसार शिवजी स्वयं रुद्राक्ष में वास करते है। रुद्राक्ष एक से लेकर 21 मुखी तक के होते हैं। रुद्राक से बनी माला से यदि कोई व्यक्ति जप करता और ध्यान करता है तो उसे कई जन्मो का पुण्य मिल जाता है।

  •  एकमुखी रुद्राक्ष
    एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वश्रेष्ट माना जाता है। ये स्वयं शिव हैं। इसको धारण करने से चिंता और डर दूर हो जाता है और व्यक्ति के पापो का नाश हो जाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। एक मुखी रुद्राक्ष के ग्रह सूर्य हैं अत: इसको धारण करने से सूर्य देव और शिवजी दोनों का आशीर्वाद और आशीष प्राप्त होती है।

  •  दोमुखी रुद्राक्ष
    शास्त्रों अनुसार इस रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर अर्थात गौरी माँ का स्वरुप माना जता है। इस रुद्राक्ष के ग्रह हैं चंद्रमा और जो इसे धारण करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है इसे धारण करने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति की एकग्रता सर्वश्रेष्ठ हो जाती है। इस रुद्राक्ष से किन्द्नी, आँखों और स्त्री से जुड़े रोग दूर हो जाते है।

  •  तींन मुखी
    तीन मुखी रुद्राक्ष का ग्रह मंगल है और इसे ब्रह्म स्वरुप माना जाता है। जो व्यक्ति इसे धारण करना है उसका आत्मविश्वास बढ़ता है, वास्तु दोष दूर होता हिया और उसके ज्ञान में भी वृद्धि होती है। स्त्री रोगों और संक्रामक रोगों से ग्रसित लोगो को इस रुद्राक्ष से लाभ होता है।

  • चार मुखी रुद्राक्ष
    शास्त्रों अनुसार चार मुखी रुद्राक्ष के ग्रह बुध है और इसके देव ब्रह्मा है। जो इसे धारण करता है उसको कोढ़, गले के रोग, दमा, लकवा आदि बीमारियों से आराम मिलता है। इसे धारण करने से व्यक्ति में सममोहन की शक्ति आ जाती है।

  • पञ्च मुखी रुद्राक्ष
    पञ्च मुखी रुद्राक्ष के ग्रह हैं वृहस्पति और देव है रुद्ध। इसे धारण करनेसे व्यक्तो को सम्पन्नता, वैभव और कीर्ति मिलती है। इसे धारण करने से मोटापा, मधुमेह, पीलिया और किडनी से सम्बन्धी रोग में आराम आता है।

  • छहमुखी रुद्राक्ष
    इस रुद्राक्ष का ग्रह है सुखर और देव हैं कार्तिकेय और गणेश जी। इसे धारण करने से पथरी, नपुंसकता,कोढ़ और मूत्र योग आदि बीमारी से आराम मिलता है।

  • सातमुखी रुद्राक्ष
    इसका ग्रह है शनि महाराज और देव हैं अनंग देव और सप्त ऋषि। इसे धारण करने से चिंता, उदर रोग, हड्डी रोग, दुर्बलता, कैंसर, कमजोरी और अस्थमा जैसी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों में लाभकारी है।

  • आठ मुखी रुद्रश
    इसके ग्रह है राहू और देव हैं अष्टमात्रका गणेश जी, कार्तिकेय, अष्ट बसु हैं। इसे धारण करने से व्यक्ति को चरम रोग, सर्प भी, गुप्त रोग, अशांति आदि में लाभ होता है।


यह भी पढ़ें:- मूलांक 4 वाले कैसे होते हैं?

  •  नौ मखी रुद्रस्ख
    इसके ग्रह हैं केतु और देव हैं माँ नव दुर्गा और भैरव। इस रुद्राक्ष से कान के रोग, नेत्र रोग, ज्वर, फेफड़े, उदार रोग आदि में लाभ होता है। इसे संतान के लिए भी पहना जाता है।

  •  दस मुखी रुद्राक्ष
    इसके सभी ग्रह हैं और इसे धारण से 10 दिक्पाल, विष्णु जी और दश महाविधाएं प्रश्न होती हैं। इसे धारण कफ सम्बन्धी, दिल सम्बन्धी और फेफड़े सम्बन्धी रोग में पहना जाता है। इसे धारण करने से नवग्रह शांति प्राप्त होती है।

  • ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
    इस रुद्राक्ष के देव ११ रुद्ध हैं और इसे धारण करने से समस्त ग्रह और देव प्रसन्न होते हैं। इसे पहनने से स्नायु रोग, स्त्री रोग, वीर्य सम्बन्धी रोग और जोड़ सम्बन्धी रोग दूर होते हैं।

  • बारह मुखी रुद्राक्ष
    इसके ग्रह सूर्य हैं और देव भी सूर्य हैं। इसे धारण करने से व्यक्ति के ऐश्वर्य और तेज में बढोतरी हटी है। इस रुद्राक्ष से गंज, सिरदर्द, नेत्र रोग, बुखार, मूत्राशय और दिल सबंधी रोग में लाभ होता है।

  • तेरह मुख रुद्राक्ष
    इसके ग्रह सभी ग्रह हैं और देव काम देव हैं। इससे सुन्दरता, आकर्षण और समृधि प्राप्त होती है। इसे पहने से नपुंसकता, मूत्राशय, किडनी, गर्भ सम्बन्धी रोग, लीवर सम्बन्धी रोग में लाभ होता है।

  • चौदह मुखी रुद्राक्ष
    इसके देव हैं हनुमान जी और श्री कंठ। इस रुद्राक्ष को टोन टोटके, तंत्र मन्त्र, पिशाच और भूत प्रेत आदि से रक्षा के लिए पहना जाता है। इसे पहनने से डर दूर हो जाता है और कैंसर, लकवा आदि बीमारी में लाभ पहुंचता है।


आप भी रुद्राक्ष पहनने से पहले अनुभवी ज्योतिष से सलाह लेना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करे।

सर्वश्रेष्ठ वैदिक विज्ञान संस्थान (एस्ट्रोलोक) से ज्योतिष ऑनलाइन सीखें जहाँ आप विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी श्री आलोक खंडेलवाल से ज्योतिष सीख सकते हैं। इसके अलावा वास्तु पाठ्यक्रम, अंकशास्त्र पाठ्यक्रम, हस्तरेखा पढ़ना, आयुर्वेदिक ज्योतिष, और बहुत कुछ प्राप्त करें। निःशुल्क ऑनलाइन ज्योतिष पाठ्यक्रम उपलब्ध है।

यह भी पढ़ें:- सर्दी जुखाम का आयुर्वेदिक उपचार

Comments (0)

Asttrolok

Asttrolok

Admin

Consultants

Debashis Sahoo

Debashis Sahoo

Astrology Hindi, English Exp: 4+ Year
Manish ji

Manish ji

Jigyasa Agrawal

Jigyasa Agrawal

Astrology Hindi, English Exp: 6+ Year
Pranjali Khatawkar

Pranjali Khatawkar

Astrology
Dr. Narendra Umrikar

Dr. Narendra Umrikar

Astrology | Vastu Specialist
Arti Walia

Arti Walia

Astrology Hindi, English Exp: 5+ Year
Thakur Prasad Das

Thakur Prasad Das

Astrology Hindi, English Exp: 4+ Year
Yogesh Pratap Singh

Yogesh Pratap Singh

Astrology Hindi, English Exp: 4+ Year

Share

Share this post with others

GDPR

When you visit any of our websites, it may store or retrieve information on your browser, mostly in the form of cookies. This information might be about you, your preferences or your device and is mostly used to make the site work as you expect it to. The information does not usually directly identify you, but it can give you a more personalized web experience. Because we respect your right to privacy, you can choose not to allow some types of cookies. Click on the different category headings to find out more and manage your preferences. Please note, that blocking some types of cookies may impact your experience of the site and the services we are able to offer.